साक्षात्कार सिविल सेवा परीक्षा का तीसरा एवं अंतिम चरण है। इस चरण में मुख्य परीक्षा में सफल उम्मीदवारों के व्यक्तित्त्व का परीक्षण किया जाता है। इसमें उम्मीदवारों की सत्यनिष्ठा, मानसिक सतर्कता, तार्किक विश्लेषण क्षमता, सामाजिक सामंजस्य कौशल और नेतृत्व क्षमता के गुणों को जाँचा-परखा जाता है। वस्तुतः सिविल सेवा परीक्षा एक उम्मीदवार की निर्णय क्षमता, अभिव्यक्ति कौशल और व्यक्तित्व की समग्र परीक्षा है। प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की प्रकृति से भिन्न, साक्षात्कार में बोर्ड के सदस्यों द्वारा उम्मीदवार से मौखिक प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनका उत्तर उम्मीदवार को मौखिक रूप से ही देना होता है। साथ ही, प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा की तरह साक्षात्कार का कोई निश्चित पाठ्यक्रम भी नहीं होता है अतः इसमें पूछे जाने वाले प्रश्नों का दायरा व्यापक होता है। सिविल सेवा परीक्षा में उम्मीदवारों के चयन की अंतिम सूची मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के अंकों के योग के आधार पर तैयार की जाती है। हालाँकि, मुख्य परीक्षा के अंकों (1750 अंक) की तुलना में साक्षात्कार के अंकों (275) का सारांश कम अवश्य है, लेकिन अंतिम चयन में साक्षात्कार के अंकों की विशेष भूमिका होती है।
साक्षात्कार में पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति और उनके दायरे का अवलोकन करें तो एक बात स्पष्ट रूप से कही जा सकती है कि सिविल सेवा परीक्षा का यह चरण ऐसा है जिसकी तैयारी प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की तरह एक-दो वर्ष की निर्धारित समयावधि में नहीं की जा सकती है। चूँकि साक्षात्कार किसी भी उम्मीदवार के व्यक्तित्व का परीक्षण है, अतः व्यावहारिक रूप से इसकी तैयारी जीवन के शुरुआती दौर में ही आरम्भ हो जाती है। क्योंकि व्यक्तित्व का निर्माण एक-दो वर्षों में नहीं होता है। घर-परिवार, आस-पड़ोस, स्कूल और कॉलेज में उम्मीदवार को मिले अनुभव और अवसर व्यक्तित्व निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि एक निश्चित समयावधि में व्यक्तित्व को बेहतर तरीके से निखारा नहीं जा सकता है। सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान उम्मीदवार को विभिन्न प्रकार की व्यावहारिक चुनौतियों, भावनात्मक द्वंद्वों और निर्णय सम्बंधी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इसलिये अगर इस समय काल में व्यक्तित्व विकास पर ध्यान दिया जाए तो व्यक्तित्व को और बेहतर बनाया जा सकता है।
यह बात तय है कि उम्मीदवार के व्यक्तित्त्व का विकास जिस स्तर पर हुआ है, अगर वह योजनाबद्ध और व्यवस्थित तैयारी करेगा तो अपने स्तर पर सामान्यतः मिलने वाले अंकों में कुछ अंकों का इजाफा तो कर ही सकता है। उदाहरण के लिये, यदि उम्मीदवार का व्यक्तित्त्व अत्यंत विकसित है और बिना तैयारी के वह 275 में से 175-180 अंक लाने की काबिलियत रखता है तो यह निश्चित है कि रणनीतिक तैयारी करने पर वह 190-210 अंकों की परिधि को छू सकता है। चूँकि सिविल सेवा परीक्षा में अंतिम चयन और पद निर्धारण में एक-एक अंक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है, अतः इस आधार पर साक्षात्कार की तैयारी को नजरअंदाज करना रणनीतिक भूल होगी।